कारगिल युद्ध और विजय दिवस
कारगिल सेक्टर में 140 किमी. लम्बी नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर पाकिस्तानी सेना ने 1500 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूभाग पर कब्जा कर लियाथा। यह माना जाता है कि भारत सरकार ने इस 'ऑपरेशन विजय' का जिम्मा करीब दो लाख सैनिकों को सौंपा था. जंग के मुख्य क्षेत्र कारगिल-द्रास सेक्टर में करीब तीस हजार सैनिक मौजूद थे. इस युद्ध के बाद पाकिस्तान के 357 सैनिक मारे गए, लेकिन बताया जाता है कि भारतीय सेना की कार्रवाई में उसके चार हजार सैनिकों की जान गई. भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए. दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था और आखिरकार 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी जीत पा ली गई. यही दिन अब ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है , विश्व के इतिहास में कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग में शामिल है.
आज २६ जुलाई को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर
सबके साथ मै भी १९९९ में कारगिल में शहीद हुए वीर सेनानियों को नमन करता
हूँ , उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ , हालाँकि मेरी तब से ही
व्यक्तिगत धारणा यह है कि वास्तव में कारगिल में पाकिस्तान की धुसपैठ
हमारी लापरवाही और नाकामियो का दुष्परिणाम थी , जिसकी कीमत वीर सैनिको ने
अपनी जान वतन के लिए कुर्बान कर चुकाई थी ,पहले हम कारगिल और आसपास के
इलाको में पाकिस्तानियो के धुस जाने पर आँखे मुदे हाथ पर हाथ डालकर बैठे
रहे , फिर आतंकवादियों और पाकिस्तानी फ़ौज़ से हाथ जोड़कर
- अंजना वर्मा
- अंजना वर्मा
कारगिल युद्ध भारत पाकिस्तान के बीच आज़ादी के बाद से जारी संघर्ष की ही दास्तान है , कारगिल युद्ध
भी कश्मीर हथियाने और भारत को अस्थिर करने के लिए सन 1947-48 तथा 1965 में पाकिस्तानी सेना द्वारा कबीलाइयों की मदद से
कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिशों का यह अगला कदम था , जिसमें पाकिस्तानी सेना ने द्रास-कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा करने की
कोशिश की थी. भारतीय सेनाओं ने इस लड़ाई में पाकिस्तानी सेना तथा
मुजाहिदीनों के रूप में उसके पिट्ठुओं को परास्त किया.
कारगिल युद्ध के तीन चरण थे . पहला, पाकिस्तानी घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक एक पर नियंत्रण स्थापित करने के मकसद से अहम सामरिक स्थानों पर कब्जा कर लिया. दूसरा, भारत ने घुसपैठ का पता लगाया और अपनी सेना को तुरंत जवाबी हमले के लिए लामबंद करना शुरू किया तथा तीसरा, भारत और पाकिस्तान की फ़ौज़ के बीच भीषण संघर्ष हुआ और एक बार फिर पाकिस्तान की करारी शिकस्त हुई थी।
कारगिल युद्ध के तीन चरण थे . पहला, पाकिस्तानी घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक एक पर नियंत्रण स्थापित करने के मकसद से अहम सामरिक स्थानों पर कब्जा कर लिया. दूसरा, भारत ने घुसपैठ का पता लगाया और अपनी सेना को तुरंत जवाबी हमले के लिए लामबंद करना शुरू किया तथा तीसरा, भारत और पाकिस्तान की फ़ौज़ के बीच भीषण संघर्ष हुआ और एक बार फिर पाकिस्तान की करारी शिकस्त हुई थी।
मई 1999 में एक स्थानीय ग्वाले से मिली सूचना के बाद बटालिक सेक्टर में ले. सौरभ कालिया की पेट्रोल टीम पर हमले से इलाके में घुसपैठियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी .
शुरू में भारतीय सेना ने इन घुसपैठियों को महज़ जिहादी समझकर उन्हें खदेड़ने
के लिए सीमित संख्या में सैनिक भेजे थे , लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की ओर से
हुए जवाबी हमले और एक के बाद एक कई इलाकों में घुसपैठियों के मौजूद होने की
खबर के बाद भारतीय सेना को समझने में देर नहीं लगी कि असल में यह एक
योजनाबद्ध ढंग से और बड़े स्तर पर की गई घुसपैठ थी, जिसमें केवल जिहादी
नहीं, पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी.फिर भारतीय सेना ने 30,000 सैनिको के साथ ऑपरेशन विजय शुरू किया . भारतीय वायु सेना ने भी 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’
शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से
सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला
खड़ा किया. बाद में अमेरिका के एक प्रमुख थिंक टैंक ने कहा है कि कारगिल युद्ध भारत की हवाई युद्धकौशल क्षमता का 'कमजोर परीक्षण' था
कारगिल सेक्टर में 140 किमी. लम्बी नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर पाकिस्तानी सेना ने 1500 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूभाग पर कब्जा कर लियाथा। यह माना जाता है कि भारत सरकार ने इस 'ऑपरेशन विजय' का जिम्मा करीब दो लाख सैनिकों को सौंपा था. जंग के मुख्य क्षेत्र कारगिल-द्रास सेक्टर में करीब तीस हजार सैनिक मौजूद थे. इस युद्ध के बाद पाकिस्तान के 357 सैनिक मारे गए, लेकिन बताया जाता है कि भारतीय सेना की कार्रवाई में उसके चार हजार सैनिकों की जान गई. भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए. दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था और आखिरकार 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी जीत पा ली गई. यही दिन अब ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है , विश्व के इतिहास में कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग में शामिल है.
चले जाने की विनती करते रहे , इसके बाद पानी सिर से ऊपर आ जाने पर
आखिर में मजबूरी सेना को मोर्चा बचाने के लिए कहा गया , हमारे वीर फौजियो
ने इसके बावजूद असीम शौर्य और वीरता के साथ लड़कर कश्मीर का वह हिस्सा
पाकिस्तान के कब्जे से वापस छीना था , इसके लिए वो तो बधाई के हकदार है
,पर इसे विजय कैसे माना जाये। आज भी सीमा पर यही कमोवेश स्थिति है कि पाकिस्तानी जब चाहे तब गोलाबारी करके हमारे सैनिको और जनता को मौत के घाट उतार देते है और हम बस दोस्ती और सद्भभावना का राग अलापने में जुटे हुए है ।